चीन की महान दीवार जिसे बनाने में चली गई 5 लाख लोगों की जान! द ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना!
चीन की महान दीवार: एक रहस्यमय इतिहास
चीन की महान दीवार एक अद्भुत जगह है।
इसे बनाने में 5 लाख लोगों की जान चली गई। इस दीवार को बनने में 2000 साल लगे और कई राजा कंगाल हो गए। यह दीवार रेगिस्तान, पहाड़ों और नदियों से होकर समुद्र तक जाती है। यह दुनिया की सबसे बड़ी इंसानों द्वारा बनाई गई चीज है और यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है।
यह दीवार 21,196 किलोमीटर तक फैली हुई है। इसका इतिहास बहुत ही रहस्यमय है। चीन के लोग इसे क्यों बनाए? इस दीवार का ड्रैगन से क्या संबंध है? इसे दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान क्यों कहा जाता है? इतनी मेहनत के बाद भी यह दीवार क्यों असफल रही? आज हम इन सवालों के जवाब जानेंगे।
यह सीधी नहीं है, बल्कि कई टुकड़ों से बनी है। कुछ हिस्से एक-दूसरे के समानांतर हैं। सभी टुकड़ों को मिलाकर इसकी लंबाई 21,196 किलोमीटर है। यह बहुत लंबी है। अगर आप भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक तीन बार यात्रा करें, तो भी यह दीवार उससे लंबी होगी।
आज इस दीवार का ज्यादातर हिस्सा टूट चुका है। 1985 में याहू हुई डंग और उसके दो दोस्तों ने इस दीवार को एक सिरे से दूसरे सिरे तक पार किया था। उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। उन्हें यह दीवार पार करने में 510 दिन लगे थे। इन तीनों के बाद कोई भी इंसान इस दीवार को पार नहीं कर पाया है।
यह दीवार चीन के उत्तरी भाग में बनी है। यह रेगिस्तान से लेकर पीली नदी तक जाती है। इसके रास्ते में पहाड़, चट्टानें, रेगिस्तान, नदियाँ और समुद्र हैं। इसलिए चीन के लोग इसे **कोटन ड्रैगन** कहते हैं। इसका मतलब है पत्थर का ड्रैगन। वे मानते हैं कि यह ड्रैगन उन्हें दुश्मनों से बचाता है। चीन के लोग मानते हैं कि हजारों साल पहले एक ड्रैगन ने उड़कर इस दीवार का रास्ता तय किया था। मजदूरों ने उस ड्रैगन का पीछा करते हुए इस दीवार को बनाया।
चीन के लोग ड्रैगन को शक्ति और अच्छाई का प्रतीक मानते हैं। वे मानते हैं कि ड्रैगन उनकी रक्षा करता है। चीन की दीवार को भी इसी तरह देखा जाता है। यह दीवार बुराइयों से रक्षा करती है। यह चीन में शांति का प्रतीक है। इसलिए चीन के लोग इस महान दीवार को ड्रैगन से जोड़कर देखते हैं।
इतिहासकारों के अनुसार, इस दीवार को 2700 साल पहले बनाना शुरू किया गया था। उस समय चीन के लोग खेती करते थे। वे पीली नदी से अपने खेतों की सिंचाई करते थे। उस समय चीन के पास मंगोलिया, मंचूरिया और शिंजियांग जैसे राज्य थे। मंगोलिया में उपजाऊ जमीन नहीं थी। वहां रेगिस्तान था। इसलिए वहां के लोग पशुपालन करते थे।
चीन के लोग व्यवस्थित रूप से रहते थे। मंगोलों के कई छोटे-छोटे कबीले थे। वे हमेशा चीन में घुसकर लूटपाट करते थे। इस समस्या से बचने के लिए चीन के लोगों ने एक राजा चुना। उन्होंने अपनी सीमा तय की और उसके चारों ओर एक ऊँची दीवार बनाने का फैसला किया। किन शी हुआंग चीन का पहला राजा बना। उसने 221 ईसा पूर्व में चीन की महान दीवार बननी शुरू की।
इतनी लंबी दीवार बनाना किसी एक राजा के लिए आसान नहीं था। इसलिए कई राजाओं ने इस दीवार को बनाने में मदद की। इस दीवार को पूरी तरह से बनने में 2000 साल लग गए। राजाओं ने अपने समय के सबसे अच्छे इंजीनियरों और कलाकारों को इस दीवार के काम में लगाया। इसे बनाने में 20 लाख से ज़्यादा मजदूरों ने काम किया।
चीन के राजा बड़ी संख्या में लोगों को दीवार बनाने के लिए लाते थे। वे कैदियों को भी सजा के तौर पर चार साल के लिए दीवार बनाने के लिए भेज देते थे।
चीन की दीवार का कुछ हिस्सा रेगिस्तान में है। कुछ हिस्सा ऊँचे पहाड़ों पर है। उन पहाड़ों पर चढ़ना भी मुश्किल है। उन पहाड़ों के आसपास जंगल हैं। उस समय दीवार बनाने वाले मजदूरों ने बहुत कष्ट सहे थे। कहा जाता है कि मजदूरों को सालों तक अपने घर जाने का मौका नहीं मिलता था। वे दिन में 16 से 18 घंटे काम करते थे। उन्हें पेट भरने जितना खाना भी नहीं मिलता था। चीन के राजा उन पर बहुत अत्याचार करते थे।
मजदूरों को ठंडी में दीवार के पास ही सोना पड़ता था